तेरे अनछुए अहसासों की रेशमी छुअन मेरे कंपकपाँते लब, डबडबाते नयन तेरे दिल की बात मेरे दिल तक पहुँची बिनकहे हो रहा अहसासों का रमन दूर क्षितिज ! धरा-गगन मिल रहे हैं, मिलने दो फ़क़त अनुपम और अनूठा है ये मिलन ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
तेरे अनछुए अहसासों की रेशमी छुअन मेरे कंपकपाँते लब, डबडबाते नयन तेरे दिल की बात मेरे दिल तक पहुँची बिनकहे हो रहा अहसासों का रमन दूर क्षितिज ! धरा-गगन मिल रहे हैं, मिलने दो फ़क़त अनुपम और अनूठा है ये मिलन ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️