कलयुग है आजकल इतना भी कौन करता है बेमतलब चार कदम भी साथ कौन चलता है तुम्हारी कुछ समय की मीठी चंद 'यादें' हैं वर्ना यूँ कौन किसके लिए राह बदलता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
कलयुग है आजकल इतना भी कौन करता है बेमतलब चार कदम भी साथ कौन चलता है तुम्हारी कुछ समय की मीठी चंद 'यादें' हैं वर्ना यूँ कौन किसके लिए राह बदलता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️