कभी जब नज़र भर के हमें वो देख लेते हैं हम शरमाये से उनसे नज़र फेर लेते हैं हमारी इस अदा पे भी, हैं फ़िदा मेरे हमदम बुनते हैं ख़्वाब कईं ,ख़्याल उन्हें घेर लेते हैं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
कभी जब नज़र भर के हमें वो देख लेते हैं हम शरमाये से उनसे नज़र फेर लेते हैं हमारी इस अदा पे भी, हैं फ़िदा मेरे हमदम बुनते हैं ख़्वाब कईं ,ख़्याल उन्हें घेर लेते हैं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️