वो सब वादे तोड़ने के लिए करता है
खूब बहाने छोड़ने के लिए करता है
निज स्वार्थ में कोई इतना डूबा क्यों है
सब अपनों को तोड़ने के लिए करता है
✍️ सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️
वो सब वादे तोड़ने के लिए करता है
खूब बहाने छोड़ने के लिए करता है
निज स्वार्थ में कोई इतना डूबा क्यों है
सब अपनों को तोड़ने के लिए करता है
✍️ सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️