उसने अगर अब तक का किया नकार दिया जब दिया तुझको तो.. काँटों का हार दिया सफर में अकेला है तू,.......... दूर है मंज़िल मुस्कुरा ! तुझे तेरी ........ख़ुदी से वार दिया ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: December 2022
हुकूमत
हर स्वार्थी ज़ालिम अहंकारी को चाहिए सीधे सरल सहज इंसान हुकूमत के लिए न मुँह में जबान,न अक़्ल और न स्वाभिमान रोज़ सताने को अपनी दिलजोई के लिए ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अच्छी नहीं
चुपके चुपके धीरे से दिल में समाते चले गए घुसपैठ अच्छी नहीं ये नैनो के रास्ते आहिस्ता दिल में उतरते चले गए सेंधमारी अच्छी नहीं ये डाली आदत जो धीरे धीरे हर पल साथ रहने की आशिक़ी अच्छी नहीं ये अभी वो तुम्हें समझती नहीं, तुम समझते चले गए नासमझी अच्छी नहीं ये ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
आज
आज इंतज़ार किया तो जाना -----है इंतज़ार क्या आज तनहा हुए तो जाना------ है दिल बेकरार क्या रात बेचैनी मे कटी -------------इंतज़ार में गिने तारे आज समझा किये फ़क़त हम प्यार क्या ज़ज़्बात क्या ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
औरत
क्या औरत के बिन घर घर होता है जहाँ सिर्फ तन्हाइयों का डर होता है जहाँ होती है अपनेपन की कमी जहाँ दिन-रात बस बसर होता है क्या ---- जहाँ न सफाई न खाने की शुद्धता जहाँ तन मैला मन अशुद्ध रहता है जहाँ घर सांय-सांय,आपस में भाँय - भाँय दिल में दर्द का डेरा रहता है क्या------ दुनिया को अकेले झेलना उसकी विकृत मानसिकता के साथ बेबसी और नशे का चंगुल जीवन में अदृश्य अँधेरा रहता है क्या -------- कोई प्यार से जब उस घर में जाए दिलको सन्नाटा महसूस होता है इक कमी का अहसास हरसूँ खालीपन ठहाकों में होता है क्या -------- ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
सन्देश
आज जो पाया ! जाना, कुछ पाना शेष था जो समझा खज़ाना --यादों का अवशेष था जीवन की सार्थकता--------बहते रहने में है रुकना तो मृत्यु-पूर्व,-- -मृत्यु का सन्देश था ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
गुमान
वो जो कुछ नहीं बहुत कुछ होने का गुमान रखते हैं झाँके न गिरेबान में ! बड़ी लंबी ज़ुबान रखते हैं काबिलियत हो न हों किसी सम्मान की, वो "मियाँ" फिर भी सब कुछ पाने का हमेशा दिल में अरमान रखते हैं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
खरी
अजब अहसास से भरी हूँ आम हूँ पर लगा परी हूँ ख़ुद पे यक़ीन हुआ है यूँ मैं मुकम्मल ग़ज़ल खरी हूँ ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
धोखा
वादा करके भूल जाते हैं वो दर्पण कैसे देख पाते हैं वो प्यार के बदले न प्यार की नीयत ख़ुद धोखा रोज़ ही खाते हैं वो ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
280.दोहा
प्यार रहा संवेदना, प्यार रहा आधार ये उथला दरिया नहीं, सागर सा है प्यार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️