पता नहीं भारतीय नारी में दम कहाँ से आता है सताया कभी हाथ भी उठाया रोज़ नीचा दिखाया उसकी हरेक कमी को बड़ा कर के दिखाया किसी बात की तारीफ़ नहीं जब बोलने की कोशिश आँखें दिखा डराया माँ बहन की बात मान कोसा भी उसे अक्सर पता नहीं भारतीय नारी में दम कहाँ से आता है छोटी छोटी बात पर चिल्लाता है खुद को महान उसे निकृष्ट बताता है हर व्यक्ति उसे धरती बन सहना सिखाता है फिर उसमे दुर्गा बनने का दम कहाँ से आता है कैसे कपडे पहने कैसे बोले कैसे चले सारा समाज उसे बताता है फिर भी---- पता नहीं भारतीय नारी में दम कहाँ से आता है जहाँ देखो नारी की बेइज़्ज़ती शोषण नज़र आये वो चाहे दस लोगों को खिला के खाये पर उसका खाना घर भर को चुभ जाए एक औरत मर्द को भाये पर हाथ न आये शिकार छिन जाने सा फड़फड़ाये जहाँ महिलाएँ ही महिलाओं को, उनकी हद समझाएं पता नहीं भारतीय -------- ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️