भरपूर प्यार जब हो दिल में वो साफ़ नज़र आ जाता है छंटे भ्रम का अँधेरा जो मन से सब साफ़ नज़र आ जाता है दावे हों चाँद को लाने के और छोटी सी ख़ुशी वो देते नहीं कुछ सवाल आपको घेरें तो सब साफ़ नज़र आ जाता है ---- मज़बूरियाँ आपको घेरें हों वादों यादों के घेरे हों जब आवाज़ पीछे से आती हैं तब कदम कहाँ उठ पाता है ---- जब अपने स्वार्थ में डूबें हों एकदूजे के लिए अजूबे हों जब रोज़ अहम् टकराता है बिखराव साफ़ हो जाता है ---- आँधी-तूफानों के सायों में दुखों के गलियारों में मायूसी के अँधियारों में अपना-गैर साफ़ हो जाता है ---- जब सारे सहारे छिन जाएँ कोई तुमको न अपनाये तब खुद की पनाह में जाने से हर रास्ता साफ़ हो जाता है ---- ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️