टूटे दिल,बिखरे सपनों के साथ जीते हैं वो रोज़ अपने अश्क़, ख़ूने जिगर पीते हैं कौन कहता है यहाँ साँस नहीं लेते मुर्दे बिन आस-ओ-अहसास के मुर्दे ही जीते है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
टूटे दिल,बिखरे सपनों के साथ जीते हैं वो रोज़ अपने अश्क़, ख़ूने जिगर पीते हैं कौन कहता है यहाँ साँस नहीं लेते मुर्दे बिन आस-ओ-अहसास के मुर्दे ही जीते है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️