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आप सब के प्रेम,प्रोत्साहन और अपनेपन की वजह से मैं,
"१००१ पोस्ट"
इस ब्लॉग पर लिख पायी। एक अजीब सी संतुष्टि का,कुछ कर पाने का अहसास है।
सच कहूँ तो खुद पर गर्व सा हो रहा है ,सच में ! हम चाहें तो क्या नहीं हो सकता।
बस निरंतरता और जुनून से काम करना है। बाकी तो परमपिता परमात्मा कर ही रहे है,
" हमारे भले के लिए हमेशा, हर पल, बिना रुके "।
दोहा /278
रोम रोम तुम बस रहे, रोम रोम में धाम।
हे परमेश्वर आपको ! ह्रदय से है प्रणाम।।
दोहा /279
सदा मुझे सदबुद्धि दो, कार्य करूँ मैं नेक।
गर्व से सिर ऊँचा रहे, रहे सुबुद्धि विवेक।।
✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
ह्रदय तल से आभार, धन्यवाद, शुक्रिया।
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Seema Kaushik is a poet based in Faridabad, India. She is an engineering graduate, who spent most of her life as a homemaker. After being forced to live according to society’s rules, she has finally discovered her voice in her 50s. Now, she writes to be free.
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बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ 🌹🌹
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haardik dhanyavaad 💐💐
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