एक ज़माना था तेरे प्यार को तरसा किये थे हम ये ज़माना है कि भूले हैं !दिल में था भी कोई गम अब न इंतज़ार न आरज़ू न ज़ुस्तज़ू,कोई प्यार की न साथी,न कारवां,न मंज़िल और न ही कोई संगम ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
एक ज़माना था तेरे प्यार को तरसा किये थे हम ये ज़माना है कि भूले हैं !दिल में था भी कोई गम अब न इंतज़ार न आरज़ू न ज़ुस्तज़ू,कोई प्यार की न साथी,न कारवां,न मंज़िल और न ही कोई संगम ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️