वादा करके भूल जाते हैं वो दर्पण कैसे देख पाते हैं वो प्यार के बदले न प्यार की नीयत ख़ुद धोखा रोज़ ही खाते हैं वो ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
वादा करके भूल जाते हैं वो दर्पण कैसे देख पाते हैं वो प्यार के बदले न प्यार की नीयत ख़ुद धोखा रोज़ ही खाते हैं वो ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️