…होता मगर

मैं उसके दिल तक पहुँच गया होता मगर 
रास्ते में फ़र्ज़ी अपनों का एक हुजूम था 

दर्द दिल का सारा कह गया होता मगर 
सामने उसकी सच्चाई दिल से वो मज़लूम था 

मैं टूटकर मोतियों सा बिखर गया होता मगर 
रब मेरा मेरे साथ है ये मुझे मालूम था
 
ज़िन्दगी ने प्यार का खत लिखा होता मगर 
उसमे तो बस काँटों के सफर का मज़मून था 

प्यार उसकी आँखों में दिख गया होता मगर 
उसके अहम् ने कुचला, दिल मेरा मासूम था 

कब का उसको मैंने ठुकरा दिया होता मगर 
जाना उसका प्यार मुझसे पाक और मख़दूम था 
         ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

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