कलम संग हो नार तो, रह सदा होशियार देखे घर-बाहर सभी, बने सुप्रीमो यार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: February 2023
289.दोहा
दुनिया में दो ताक़तेँ, कलम और तलवार बोल कौन इनसे बड़ी ? वो ताकत है नार ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
288.दोहा
अपने स्वार्थ से भरे, दिखे तिरस्कृत भाव जब भीतर कुछ टूटता,नहीं भरे फिर घाव ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
287.दोहा
प्रज्ञा जाग्रत हो तभी, मन में हो सम भाव हर क्षण हो आनंद फिर,जलता ज्ञान अलाव ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
286.दोहा
परपीड़ा से जो मना, व्याकुल हो दिन-रात हीरा समाज का वही , सब पर रहे उदात्त ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
285.दोहा
मृत्यु खड़ी है सामने,दिल में रहे दुभाँत स्व-मंगल की राह में, मिलती पिछली पाँत ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
आहट
मौत की हो आहटें, बुझता दिया दिखाई दे आस की किरण दिखे, जब किलकारी सुनाई दे ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
समंदर
नदी का अस्तित्व मिटा मिलके समंदर में मिठास खो गयी उसकी मिलके समंदर में अहसान कैसा जो अपनाया समंदर ने मिलकर भी कुछ न मिला उसको समंदर में प्रेम प्रदर्शित करे ये गहरा समंदर भी कृतज्ञता,नरमाई क्यों कुछ न समंदर में ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
तीजा
दिल की कहो ख़ुलकर, रखिये मुँह सूजा नहीं यहाँ बस हम तुम ही हैं, कोई तीजा नहीं ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
गुम
यूँ समझता जो मुझे, वो मेरे सखा हो तुम मीत तुम हो प्रीत तुम, हो न जाना फिर से गुम ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️