290.दोहा

कलम संग हो नार तो, रह सदा होशियार 
देखे घर-बाहर सभी, बने सुप्रीमो यार 
               ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

समंदर

नदी का अस्तित्व मिटा मिलके समंदर में 
मिठास खो गयी उसकी मिलके समंदर में 
अहसान कैसा जो अपनाया समंदर ने 
मिलकर भी कुछ न मिला उसको समंदर में 
प्रेम प्रदर्शित करे ये गहरा समंदर भी 
कृतज्ञता,नरमाई क्यों कुछ न समंदर में  
             ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त'  ✍️