जिनके अपने घर नहीं रहते सारा संसार उनका घर होता है जिनके अपने अपने नहीं रहते हर शख्स उनका अपना होता है जैसे फूल-फूल में फर्क वैसा फर्क होता है नारी-नारी में इक जैसी हों इक जैसी खुशबू इस सोच से बड़ा अनर्थ होता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
जिनके अपने घर नहीं रहते सारा संसार उनका घर होता है जिनके अपने अपने नहीं रहते हर शख्स उनका अपना होता है जैसे फूल-फूल में फर्क वैसा फर्क होता है नारी-नारी में इक जैसी हों इक जैसी खुशबू इस सोच से बड़ा अनर्थ होता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️