छोड़ चुके है जो करके प्यार-व्यार दिलज़लों से दिल्लगी भारी पड़ेगी पास रहते हों जो समन्दरों के उनकी तिश्नग़ी तुम्हें भारी पड़ेगी ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
छोड़ चुके है जो करके प्यार-व्यार दिलज़लों से दिल्लगी भारी पड़ेगी पास रहते हों जो समन्दरों के उनकी तिश्नग़ी तुम्हें भारी पड़ेगी ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️