दिल सोचता क्या लिखूँ..कुछ सूझता था नहीं कैसे कहूँ दिल की बात........ सूझता था नहीं मगर जब मिली नज़र.........हुए आमने-सामने मिला उलझनों का हल....जो सूझता था नहीं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दिल सोचता क्या लिखूँ..कुछ सूझता था नहीं कैसे कहूँ दिल की बात........ सूझता था नहीं मगर जब मिली नज़र.........हुए आमने-सामने मिला उलझनों का हल....जो सूझता था नहीं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️