क्यों विधाता ने रचा, ये अद्भुत संसार जब जब बैठी सोचने, सदा मिली है हार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Author: seemakaushikmukt
Seema Kaushik is a poet based in Faridabad, India. She is an engineering graduate, who spent most of her life as a homemaker. After being forced to live according to society’s rules, she has finally discovered her voice in her 50s. Now, she writes to be free.
कशिश
ए रब !हमारी दिली कशिश यूँ ही बनी रहे ये चाहत,मुस्कुराहट,उर बगिया खिली रहे तुम जब भी आओ सामने,ए मेरे हमदम! हों पुरसुकून पल, हमारी रूह महकी रहे ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
शुरुआत
जहाँ से लोग ख़त्म करतें है वहाँ से हम शुरुआत करते हैं हम करके दिखाते हैं जिसकी अक्सर लोग बस बात करते हैं ✍️ सीमा कोशिक 'मुक्त' ✍️
फ़रिश्ते
कुछ लोग उस वक़्त आपकी ज़िन्दगी में आते है जब तुम्हें उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है वो आते हैं,तुम्हें चाहते हैं,सराहते हैं,ऊँचा उठाते हैं वो तुम्हें याद दिलाते हैं कि तुम तब भी सबसे बेहतर थे जब तुम ज़िन्दगी के भयानक दौर से गुजर रहे थे वो लोग सिर्फ तुम्हारे दोस्त नहीं,ज़मीन पे फ़रिश्ते हैं ए फ़रिश्ते, मेरे साथ बने रहने का शुक्रिया ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ ----- हिंदी अनुवाद ( quote by Dr munish jindal )
ताज
तुम जीवित रहीं उस वक्त भी, जब तुम्हें लगा ,हालात तुम्हें मार डालेंगे तो अब क्या डर!चल अपना ताज सीधा कर और बढ़ आगे महारानी-सी ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ ----- हिंदी अनुवाद ( quote by Dr munish jindal )
सगा
छोड़िये जनाब सब का सगा होना पहले अपने सगे तो हो जाइये औरों को प्यार बाँटने से पहले स्वयं को प्यार करके दिखाइए सोचो खाली झोली रहे आपकी किसको क्या बाँटोगे ये बताइये ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
भरोसा
किसी पर भरोसा करने से पहले प्यार में दिल के उछलने से पहले अपने प्यार पर,अपने किरदार पर ए जानम, तुमको बहुत सोचना है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
ख्यालों में
जब प्यार के हों सुरूर में ....रहते है ख्यालों में जब रूठ जाएँ वो.... तो उदासी के ख्यालों में लब्बोलुभाव यही है यहाँ ....जो करे इश्क़ वो किसी काम का नहीं रहता !हमेशा ख्यालों में ✍️ सीमा कोशिक 'मुक्त' ✍️
संस्मरण-1
आज वो बैठी सोच रही है वो पुराने दिन जब पूर्वी दिल्ली के एक मकान में रहती थी। सबसे बड़ी बेटी होने के साथ माँ पापा की आँखों का तारा जो भाई बहनों की लाड़ली दीदी थी। आपस में प्यार था, खूबसूरत संसार था। उसे नहीं मालूम था हालात इस उम्र तक ये रुख लेंगे कि वो ये गाने पर मज़बूर हो जायेगी "रस्ता न कोई मंज़िल ,दीया है, न कोई साहिल ,ले के चला मुझको 'ए दिल', अकेला कहाँ ! " उसके पापा प्यार तो बहुत करते थे पर महत्वकांक्षी भी थे। मात्र सरकारी आदमी बन कर नहीं रहना था उन्हें। सपने ऊँचे इसीलिए साझेदारी में उन्होंने एक सिनेमा हॉल खोला, जो चल निकला। वो छोटी सी बच्ची जहाँ भी जाती, घर, रिश्तेदार, पड़ोस या स्कूल, खूब प्यार और स्नेह मिलता। लेकिन सब अच्छा ही अच्छा हो तो उसे ज़िन्दगी नहीं कहते। सो ज़िन्दगी ने करवट बदली साझेदारों के मन में लालच आ गया,उसके पापा जो दिन रात उसमें मेहनत करते थे, उनपर ही सवालात उठने लगे और धीरे धीरे काम बंद हो गया। शुक्र है भगवान का पापा ने नौकरी छोड़ी नहीं थी लेकिन क़र्ज़ के बोझ के तले दबते चले गए। घर की छत बिक गयी और किराये के एक कमरे के घर में जाना पड़ा। माँ-बाप और चार भाई बहन जिन्होंने तंगी नहीं देखी थी ,मुस्कुराना भूल गए। पर वो आज भी नहीं भूली, अपने निकट रिश्तेदार( जो साझेदार भी थे ) का घर के बाहर आकर शोर मचाना और पापा को गाली देना। रिश्तों का नया रूप देखा उसने जो रूपये-पैसों से बदल जाता है। छोटी सी उम्र में माँ और पापा को रोते देखना ,कितना असहाय महसूस करती थी वो। आठ वर्ष की उम्र थी उसकी !जैसे-तैसे आटा गूँधती और अपने छोटे भाई बहनों को खिलाती, फिर मम्मी पापा को देती। माँ कहती, "बेटा, पापा को खिलाओ" ,पापा कहते, "माँ को खिलाओ"। वो एक टुकड़ा ज़बरदस्ती पापा को खिलाती और एक टुकड़ा माँ को और प्यार से माँ उसे। और उस दिन उसका अपने माँ बाप से अटूट बंधन बँध गया जिसमे उसने सोचा कि वो कभी ऐसा कोई काम नहीं करेगी जो उसके माँ-पापा को दुःख दे। बाकी का जीवन माँ-पापा की इच्छा से बिता दिया। वो शायद गलत थी। ज़िन्दगी में कुछ फैसले "हाल और हालात" के हिसाब से लिए जाते हैं ना कि भावनाओं में ! पर कहते हैं न "मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती कर ली ,इसी तरह से बसर हमने ज़िन्दगी कर ली" धीरे धीरे मम्मी पापा की मेहनत से सब बदलने लगा, कर्जमुक्त होकर पापा ने नौकरी में मन लगाया और फिर से एक बार घर में ख़ुशियाँ चहचहाने लगीं। ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
नासमझ
सब अच्छा ही अच्छा है नासमझ ज़िन्दगी न समझ खुली आँखों का ख़्वाब है कभी भी टूट सकता है सब सुख-दुःख की लहरों में डूबते-उबरते रहते हमारा यकीन यकीनन कभी भी टूट सकता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️