अपनी आत्मा से विधान के लिए मत काट-छाँट करिये न झुकाइये, न सींचिये, न कभी तर्क से मज़बूर करिये भरने दो ऊँची उड़ान उसे खुले आसमान में आज़ाद तुम अपने होंसले-जुनून से ख्वाब-ख्वाहिशों का पूरा करिये ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Category: Devotional
“रामायण महात्म्य”
प्रथम चरण-वंदन करूँ, नत शिर बारम्बार। रोम-रोम बसे राम को, ह्रदय मनमंदिर द्वार।। मस्तक पर चन्दन तिलक,अक्षत देउँ चढ़ाय। ह्रदय करो निर्मल प्रभु,सदबुद्धि शांति अंबार।। जय सियाराम जय जय सियाराम १/ रामायण महात्म्य है, राम महिमा का गुणगान। सुरतरू की छाया सम, करती दूर दुःख मान।। जय सियाराम जय जय सियाराम २/ कलयुग में भव तरने का, है ये उत्तम उपाय। मन से रामायण भजो, तीर्थ-करन फल पाय।। जय सियाराम जय जय सियाराम ३/ श्रवण मात्र रामायण का, दे परमतत्व का ज्ञान। अवगुण कटें जो सुने इसे, औषध राम का नाम।। जय सियाराम जय जय सियाराम ४/ रामायण नहीं प्रिय जिन्हें, जीवन मृतक समान। तुलसी कहें ये मान लो, रामायण अमृत खान।। जय सियाराम जय जय सियाराम ५/ भक्तों की भक्ति रामायण, रसिकों की रसरूप। ज्ञानमयी ज्ञानी कहते, भवतारण अनुरूप।। जय सियाराम जय जय सियाराम ६/ रामायणं अनुपम शोभा,इस सम ग्रन्थ कहाँ कोई दूजा। भक्ति ज्ञान वैराग्य समाये,निर्गुण-सगुण दोनों को भाये।। जय सियाराम जय जय सियाराम ७/ जिस घर हो पाठ रामायण,सर्व कोटि भय नसावन। घर में हो रामायण वाचा, हनुमत कृपा करे मनभावन।। जय सियाराम जय जय सियाराम ८/ स्वास्थ्य,सुख-संपत,शांति,प्रेम, हनुमान देते हैं पावन। हर दोहा चौपाई छंद, होता अमृत समान सुहावन।। जय सियाराम जय जय सियाराम ९/ जिस घर रामायण वासा, यम न भूल के फेंके पासा। रामायण से प्रेम तो हों कारज सिद्ध न होय निराशा।। जय सियाराम जय जय सियाराम १०/ रामायण से किया जन कल्याण, धन्य तुलसीदास महान। पुरुषोत्तम प्रभु का ये यशगान, संतजन मथें, लभें परम ज्ञान।। जय सियाराम जय जय सियाराम ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ --------------------------------------
गणेश स्तुति
हे गणनायक,सिद्धि प्रदायक हे गजानन नमो नमः गौरी नंदन तुम्हें अभिनन्दन हे गजानन नमो नमः मात पिता के आज्ञाकारी बुद्धि प्रदायक नमो नमः ज्ञान प्रदायक नमो नमः सूक्ष्मदृष्टि प्रेमकी वृष्टि विघ्न विनाशक नमो नमः शिव के प्यारे गौरी सहारे देते अभय वर नमो नमः मेरी विनती प्रभु सुन लीजो प्रेम कृपा का वर मोहे दीजो हे गजानन नमो नमः
माता दरबार
प्रदत्त शब्द - माता दरबार विधा-मुक्तक *देखो माता का दरबार, कितना भव्य और निराला है* *जब जिसने सिर झुका लिया, अपना भाग्य ही संवारा है* *इस मात-दरबार की शान निराली, और अमिट है महिमा* *मैया के चरणों में सदा मिलता, खुशियों का ख़ज़ाना है*
होली
आया होली का त्यौहार, कान्हा रंग डालो एक बार कान्हा पक्का रंग हो ऐसा, छोडूं मीरा बन घरद्वार आया होली का त्यौहार ,कान्हा रंग डालो एक बार डालो रंग ऐसा मेरे कान्हा, उर आँगन बजे बाँसुरिया मेरे मन की कोरी स्लेट, इसपे लिख दो प्यार ही प्यार आया होली का त्यौहार ,कान्हा रंग डालो एक बार ऐसे रंग जाए ये जीवन, महके इसका हर तार बैठी हूँ सुध बुध बिसराये, मैं खूब करूँ मनुहार आया होली का त्यौहार ,कान्हा रंग डालो एक बार
शिव
आओ करें शिव को नमन शिव को नमन अभिनन्दन हैं हाज़िर ये कण कण शिव को नमन अभिनन्दन आओ करें ..... शिव हैं हमारी हर साँस में शिव हैं हमारी हर धड़कन शिव ही आधार जीवन का हैं शिव हैं धरा शिव हैं गगन आओ करें ..... हर ज्ञान में, अज्ञान में तुमसे ही बुद्धि, तुमसे ही मन शिव हैं आदि शिव हैं अंत शिव ही नित्य शिव हैं अनंत आओ करें ..... ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
शिव गौरा प्रथम मिलन
विधा-गीत (दोहा छंद) सहस्त्रों वर्ष की कठोर तपस्या के बाद शिव का पार्वती के सम्मुख प्राकट्य और शिव गौरा प्रथम मिलन संवाद मेरे शब्दों में :- गौरा :- 🌹🌹प्रणय निवेदन कर रहीं, शिव से गौरा आज सहस्त्र युग बीते मगर, कहाँ रहे सरताज ।।🌹🌹 अपनी हालत बताते हुए कहती हैं :- 🌹🌹विरहा में कैसे कटे, प्रभु मेरे दिन-रात। दिल मेरा रोया बहुत, अँखियन से बरसात।।🌹🌹 अपना संघर्ष साझा कर रहीं हैं :- 🌹🌹तुमको पाने को करूँ , कठिन तपस्या रोज़। क्यों रूठे तुम इसतरह, हुई न मेरी खोज।। 🌹🌹 भोलेनाथ द्रवित मन से कहते हैं :- शिव जी :- 🌹🌹विधि का लिखा मिटे नहीं, सुनो प्रेयसी राज । कितना मैं विचलित रहा, आओ कह दूँ आज।।🌹🌹 कारण भी कहा कि :- 🌹🌹अपनी सुध न रही मुझे , नहीं याद दिन रात। ऐसी समाधि लग गयी ,ह्रदय लगा आघात ।। 🌹🌹 शिव को दुखी देख पार्वती जी नम्रता से बोलीं :- गौरा :- 🌹🌹छोड़ो बीती बात तुम, प्रिय संवारें आज। प्रेम करो स्वीकार तुम, अब तो रख लो लाज।।🌹🌹 शिव की सांत्वना सुनिए :- शिव जी :- 🌹🌹आऊँगा मैं आद्या, तुम हो मेरा मान। मायके से विदा मिले , तुमको सह-सम्मान।।🌹🌹 ज्यादा समय लगने के डर से गौरा बोलीं :- गौरा :- 🌹🌹बीते सहस्त्र बरस प्रभु, कल्प गए जी बीत। बहुत रह चुकी दूर अब, तुमसे ओ मनमीत ।। 🌹🌹 शिव समझाते हुए बोले :- शिव जी :- 🌹🌹अति प्रतीक्षा की प्रिये, और एक बस मोड़। फिर न कभी होंगे अलग, दृढ़ होगा गठजोड़।।🌹🌹 🌹🌹शिव ने शक्ति की महत्ता भी बतायी :- लूँगा बाँयें अंग प्रिय, तुम हो मेरा प्राण। शिव-शक्ति के मिलाप से, जग का हो कल्याण ।।🌹🌹 ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
💐सरस्वती गायत्री मंत्र 💐
🙏ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्रियै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात।🙏 🙏ॐ ऐं वाकदैव्यै च विद्महे विरिंजि पत्न्यै च धीमहि तन्नो वाणी प्रचोदयात्॥🙏 🙏ॐ वाकदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ।🙏 💐🙏आप सब को बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ💐🙏
मकर संक्रांति
*है शुभ मकर संक्रांति, दिवस है ये कुछ ख़ास* *जीवन उमंग हो पतंग सी, टूटे ना विश्वास* *सूर्य शनि का ये मिलन, वर्ष में बस एक बार* *प्रेम प्यार सौहार्द शांति का, हो जीवन में उजास* *ऊनी वस्त्र, तिल खिचड़ी ,का आप करो जी दान* *हो सुख शान्ति परिवार में ,फलित हो गंगा स्नान* *पावन पर्व पर शुभकामनाएँ, स्वीकार करो आप* *नित जीवन में आपका बढे भाग्य आत्मविश्वास* ️✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ आप व् आपके पूरे परिवार को मकर संक्रांति 💐🙏की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏
शारदा वंदन
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ हँसवाहिनी, वीणावादिनी माँ करुणा कृपा से तू तार दे माँ हो सूक्ष्म प्रज्ञा, वाणी में असर हो न भावों में शुद्धि की कोई कसर हो, हे शारदे माँ हे शारदे माँ ..... जीवन का सार सुंदर शब्दों में हों माँ उदगार मन के सधे शब्दों में हों माँ सही राह मिले मेरे शब्दों से सबको नवीन प्रखर बुद्धि का वरदान दो माँ, हे शारदे माँ, हे शारदे माँ .... भाव और शब्दों का समन्वय रहे माँ समय के हों अनुरूप, उपकार हो माँ सदा ही करूँ तेरा वंदन, अभिनन्दन मेरा शीश चरणों में, आशीष दो माँ, हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ..... अज्ञानता से हमें तार दे माँ करुणा कृपा से तू तार दे माँ हे शारदे माँ ,हे शारदे माँ ...... ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️