हों हर तबके के प्रति, सब संवेदनशील मानवता सबसे बड़ी, करती यही अपील ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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दोहा.301
रहें सचेत चुनाव में......रखें न मन संताप गलत चयन हो तो ह्रदय...रहता पश्चाताप ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहा.300
इतना ही जाने मुझे.....इतना समझे आप क्यों छोटी सी बात पर..समझे रस्सी साँप ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहे .295-299
दोहे चाय पर --- १/ सूरज उगते माँगते, चाय पति महाराज देर ज़रा सी हो अगर, गिर सकती है ग़ाज २/ दिनभर चाय नहीं मिले, टूटे सर्व शरीर चाहें छप्पन भोग हों, पूरी हो या खीर ३/ चाय की रहे चुस्कियाँ, हो यारों का साथ अपनापन दूना बढ़े, मिले हाथ को हाथ ४/नशा किसी भी चीज़ का, होता बड़ा खराब गुटखा कॉफ़ी चाय हो, या फिर होय शराब ५/ पदार्पण हो शाम का, और हाथ में चाय नैन-नैन में बात हो, दिल में प्रीत समाय ✍🏻 सीमा कौशिक 'मुक्त'✍🏻
दोहा.294
अपने जीवन का रखें, अपने पास रिमोट दुनिया ख़ुशियाँ छीन कर, ढूँढे तुममे खोट ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहा.293
माँ देवी सी है अग़र, कभी न करे दुभाँत सारे बच्चे एक से, प्रेम करे बहु-भाँत ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहा.292
न मरणासन्न संग हो, आशीषों की आस ये आशा भी छोड़कर रख खुद पर विश्वास ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
291.दोहा
मिलती झगडे में सज़ा, सुनिए बस इक बार पर प्यार में मिलती रही, यारा बारम्बार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
290.दोहा
कलम संग हो नार तो, रह सदा होशियार देखे घर-बाहर सभी, बने सुप्रीमो यार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
289.दोहा
दुनिया में दो ताक़तेँ, कलम और तलवार बोल कौन इनसे बड़ी ? वो ताकत है नार ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️