क्यों विधाता ने रचा, ये अद्भुत संसार जब जब बैठी सोचने, सदा मिली है हार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Category: doha
282.दोहा
अमिट भावना उर रहे, सबसे पाएँ प्यार प्यार बाँटना ही मगर, है जीवन का सार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
281.दोहा
सरस्वती माँ ने रखा, मस्तक वरदा-हस्त । भाव निरंतर उर बहें, सिद्ध लेखनी मस्त ।। ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
280.दोहा
प्यार रहा संवेदना, प्यार रहा आधार ये उथला दरिया नहीं, सागर सा है प्यार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
निरंतरता और जुनून
❤️❤️🌹🌹🙏🏻🙏🏻💐💐❤️❤️🙏🏻🙏🏻 आप सब के प्रेम,प्रोत्साहन और अपनेपन की वजह से मैं, "१००१ पोस्ट" इस ब्लॉग पर लिख पायी। एक अजीब सी संतुष्टि का,कुछ कर पाने का अहसास है। सच कहूँ तो खुद पर गर्व सा हो रहा है ,सच में ! हम चाहें तो क्या नहीं हो सकता। बस निरंतरता और जुनून से काम करना है। बाकी तो परमपिता परमात्मा कर ही रहे है, " हमारे भले के लिए हमेशा, हर पल, बिना रुके "। दोहा /278 रोम रोम तुम बस रहे, रोम रोम में धाम। हे परमेश्वर आपको ! ह्रदय से है प्रणाम।। दोहा /279 सदा मुझे सदबुद्धि दो, कार्य करूँ मैं नेक। गर्व से सिर ऊँचा रहे, रहे सुबुद्धि विवेक।। ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ ह्रदय तल से आभार, धन्यवाद, शुक्रिया। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
दोहा 277
ज़िन्दगी के ढ़लान में, माना बड़ी थकान यारा मत खोना कभी, अपना तू सम्मान ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहा 276
ऊँची बातें जो करे, करता छोटे काम कहे 'मुक्त'रहता सदा, उसका छोटा नाम ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहा 275
खुद से ही तू हारकर, कैसे पाए जीत ह्रदय बुद्धि का मेल दे, जीवन में संगीत ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दोहा.274
क्या अच्छा है क्या बुरा, रब को दे तू सौंप संशय के मत बीज अब, नादाँ मन में रोंप ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
273.दोहा
खुद को समझें पारखी, घोड़े-गधे समान पत्थर-हीरा एक सा, फिर भी बनें महान ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️