इंदिरा जी के जन्मदिन पर उनको श्रद्धांजलि स्वरुप 💐💐💐💐💐💐💐 नेहरू की लाड़ली थी वो, बापू की थी प्यारी नायाब शख़्सियत थी, 'इंदिरा' वो हमारी प्रधानमन्त्री बनी वो 'पहली' थी महिला भारत देश की बेटी, एक मज़बूत 'सिद्ध-शिला' जिसके सुदृढ़ नेतृत्व में देश ने नयी ऊँचाई पायी पूरे दक्षिणी एशिया में 'प्रथम' स्थान पर लायी उसकी कूटनीति राजनीति ने लहराए नए परचम दुश्मनों की नीची की निगाहें, दिखा के अपना दमखम उसके कार्यकाल में हमने, दुश्मन पाकिस्तान को हराया पाक से अलग बाँग्लादेश को 'स्वतंत्र राष्ट्र बनवाया अटल बिहारी जी ने पार्लियामेंट में उनको दुर्गा रूप बताया सामाजिक और आर्थिक रूप से देश को मज़बूत बनाया देश में महिलाओं का स्तर भी काफी ऊँचा उठाया देश की अखंडता सर्वोपरि, राष्ट्रहित में बलिदान दिया जो कभी शत्रुओं से न हारी, गोलियों से अपनों ने छलनी किया लौह नारी कहलाती थी, वो इस राष्ट्र की थाती थी इस देश की शान, सदा नए अंदाज़ सिखाती थी ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 💐💐💐💐💐💐💐
Category: Kavita
दूरी
जब हम तुम दूर होते हैं बड़े मज़बूर होते हैं उलझे-उलझे हुए जज़्बात वो गुजरे हुए लम्हात वो नैनों में होती बात अनकहे वादों की बरसात बहुत याद आते हैं मध्य हम दोनों के अचानक गायब दुनिया का हो जाना महक चारों तरफ तेरी तेरी सराहना,मेरा लजाना बहुत ही याद आते हैं जब हम तुम दूर होते हैं बड़े मज़बूर होते हैं जब रातें काटे नहीं कटती हर पल तन्हाईयाँ डँसती सहारे के बिना जीवन की डगमग नाव है हिलती सनम याद आते हैं जब हम तुम दूर होते हैं बड़े मज़बूर होते हैं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
भेदभाव
भेदभाव जाति, धर्म का तो है ही समाज में, पर उससे बुरा है वर्गीय भेदभाव। समाज में ऊँचनीच पैसे, पद, प्रतिष्ठा के आधार पर । इसी पर कुछ पंक्तियाँ आपके सामने --- हर किसी को चाहिए अपने लिए लोकतंत्र अपने से नीचे वाले के लिए तानाशाही छोड़ दो वर्गीय भेदभाव इंसानियत के लिए लोकतंत्र सबका अधिकार है , होना चाहिए लोकतंत्र शादी में रखा बुफे नहीं, जितना मन में आया, खाया बाकी छोड़ दिया अपने ऊपर से सम्मान चाहो तो नीचे पहले दो
प्यार
जीवन में प्यार जब आता है सब कुछ सुन्दर हो जाता है कहीं दूर शहनाई बजती है ये मनमयूर हो जाता है जीवन में प्यार... हम बहके बहके रहते हैं थोड़ा महके महके रहते हैं जैसे ही सदा तुम देते हो दिल बाग़-बाग़ हो जाता हैं जीवन में प्यार ... जब देखे गहरी नज़रों से ये रंग गुलनार हो जाता है दुनिया भूल हम जाते है मन पंछी-सा हो जाता है जीवन में प्यार ... ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अनकहा
रिश्तों में न ज़रूरी है न अच्छा, सबकुछ कहना कुछ अनकहा हमारे बीच, अनकहा रहने दो कहके न खोना वो पल, जो हमने महसूस किये उन पलों को दिल में सहेज, प्यार से रहने दो कुछ अनकहा हमारे बीच अनकहा रहने दो ।। मुद्दतों बाद हँसे हैं हम ,तो हँस भी लेने दो नज़र लगे न किसी की, यूँही हमें रहने दो इस दुनिया को सब कुछ क्यों बताएँ हम तुम छोड़ दो ज़िद्द दुनिया की अनकहा रहने दो कुछ अनकहा हमारे बीच अनकहा रहने दो ।। दुनिया जाने न जाने, रब तो सब जानता है रब के वास्ते हमें अब चुप ही रहने दो तेरे मन का दर्पण शक्ल मेरी पहचानता है इस दर्पण पे कभी धूल मत आने देना कुछ अनकहा हमारे बीच अनकहा रहने दो।। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
चोरी का मज़ा
चोरी का अपना मज़ा है एक बच्चे ने समझाया जब वो माँ से छिपकर पार्क में खेलने आया माँ-बाप जिस बात के लिए मना करते थे उसीको करने को सभी बच्चे मचलते थे हम सब जीवन की राहों में हर बार मचलते हैं कुछ चोरी-चोरी करने की ज़िद्द पकड़ते है डॉक्टर ने मना किया कुछ खाने को या पापा ने मना किया पिक्चर जाने को या विवाहेतर सम्बन्ध बनाने को इज़ाज़त मिल जाए तो करने का मन नहीं रहता न मिले इज़ाज़त तो बंधन तोड़ने को आतुर मन रहता आखिर ऐसा क्यों है चोरी में मज़ा क्यों है ये उत्तेजना क्यों है माँ-बाप हों या अपना कोई और वो सही ही समझाते हैं चोरी के दुष्परिणामों से वो ही बचाते हैं लौट कर बुद्धू घर को आते हैं तन से चोरी ,धन की चोरी,पकड़ी अक्सर जाती है पर मन की चोरी बहुत हमें तड़पाती है माना मन की चोरी में आनंद है इस आनंद से उभरें तो ब्रह्मानंद है !
निशाँ
ज़िन्दगी ढूँढूँ तुझे मैं कहाँ नहीं मिले तेरे क़दमों के निशाँ ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दीवाना
कुछ इस तरह ज़ालिम दर्द उसका बाहर आया मारे पत्थर लोगों ने सरेआम दीवाना कहलाया नहीं जिस्मानी उल्फत ये, ये तो रूह का सौदा रूहानी प्यार करे जो भी ,यहाँ दीवाना कहलाया ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
समझ
न जाने इस दुनिया में सब ऐसे क्यों हो जाते हैं समझाना कुछ और चाहती हूँ समझ कुछ और जाते हैं समझना कुछ और चाहती हूँ समझा कुछ और जाते हैं ए जहाँ ! कुछ तो अच्छाइयाँ, कुछ तो ईमान रख वर्ना मुश्किल वक़्त में साथ सब छोड़ जाते हैं। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
साबित
खुद को इस ज़माने में, साबित करना ज़रूरी है कोई चाहे न चाहे, दर्द से गुजरना ज़रूरी है हवा खिलाफ हो तो भी, लड़ेंगे पूरे दम से हम हों आँसू भरी आँखें, मुस्कुराना ज़रूरी है ताकत के नशे में वो, अब खुद पर ही मोहित है रखनी है हमे हिम्मत, औकात बताना ज़रूरी है शिखर तो चाहते हैं सभी ,योग्य होना ज़रूरी है अंजाम कुछ भी हो, आदर्शों पे टिकना ज़रूरी है ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️