विकल्प

रख चींटी सा हौंसला, हाथी मन मज़बूत 
सोच सदा ऊँची रहे, दिल में प्रेम अकूत
दिल में प्रेम अकूत, सदा मीठी हो वाणी 
रब का यही सबूत, साँस चलती है प्राणी 
यश फैले दिन-रात, सफलता का फल चख 
कहे 'मुक्त' ये बात, हार न कभी विकल्प रख 
               ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

स्वार्थ

बिना स्वार्थ न बात हो, न हो किसी का काम 
दाँत लोभ के जब बढ़े..... जपें राम का नाम 
 जपें राम का नाम.......रखे हैं बगल में छुरी 
 ऐसे उनके काम............भली है उनसे दूरी 
रहे राम का नाम...... गुनाह मत इनके गिना  
रब का ये फरमान... न मिले स्वार्थ के बिना 
        ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

आत्म-मुग्ध

अति की आत्म-मुग्धता, कर जाते कुछ लोग
आत्म-प्रशंसा ही बनी, उनका असाध्य रोग 
उनका असाध्य रोग ,न दुनिया उनके दम से 
निज स्वार्थ में डूब, सदा रहते सिंघम से 
सुनो पते की बात, 'मुक्त' रख लो तुम ये मति    
जब तक हो तुम गात, नहीं करना कोई अति 
        ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

सादा

जीवन की इस साँझ में, अब तो जाओ चेत 
न चालबाजी से रुके, तेरी  मुट्ठी रेत 
तेरी  मुट्ठी रेत ,न कस कर इसको भींचो   
जीवन प्रेम बेल, प्यार से नित इसे सींचो 
जीवन है इक साज़ ,मधुर धड़कन से गायन 
कहे 'मुक्त' ये बात, सदा सादा हो जीवन 
        ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

अतीत

मानव, याद य बात हो, खींचे हमें अतीत
दे आँसू, छीने हँसी, झगड़ा हो या प्रीत
झगड़ा हो या प्रीत, दूर रहना ही अच्छा
अपने से कर प्रेम, निरंतर कम हों इच्छा
कम कर मन उदगार, रहे निकट सदा राघव
अतीत से रह दूर, हमेशा ख़ुश रह मानव …..

✍️ सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️

ख़ाली

*ख़ाली अंदर से रहे, जैसे हो फुटबॉल* 
*पड़े लात सबकी उसे, घर ऑफ़िस या मॉल* 
*घर ऑफिस या मॉल, उड़े जी मानो खिल्ली * 
*मिलता न आसमान , सदा दूर रहे दिल्ली *  
*बिन ज्ञान संस्कार, रहे सब उसका जाली*   
*चाहे हो धनवान, गगरिया दिल की ख़ाली*
          ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️  

सीख

सीख मिले कमज़ोर को, नहीं मिले बलवान 
रख न सके ख़ुद बात वो, हर पल दबता जान 
हर पल दबता जान, नहीं लत क्रोध जताना 
ज्यादा बिगड़े बात, पड़े है तब चिल्लाना  
शासक कैसे योग्य , नहीं जो बिन चीख हिले   
न कमज़ोर को साथ , खोखली बस सीख मिले     
          ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️  

आकर्षण

आकर्षण चारों तरफ, तन में रहे न ज़ोर   
याद रहे  बीवी तभी, आवाज़ें नित भोर 
आवाज़ें नित भोर,  अदा सब ह्रदय लुभावें  
आदत होती घोर, कभी न अलग रह पावें   
व्यंग्य-बाण की आग, कभी जो होता घर्षण 
झूठ-मूठ की रूठ, नहीं कम हो आकर्षण
               ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

इज़हार

कैसा है ये प्यार जो, कर सके न इज़हार
ये शूरवीर ही करे, जो दिल से गुलज़ार
जो दिल से गुलज़ार, प्यार है  जिसका सच्चा 
प्यार सिर्फ है चाह, रहे बूढ़ा या बच्चा 
अपनाओ यदि प्यार, यार चाहे हो जैसा 
करे न जो इज़हार, प्यार है उसका कैसा

प्यारा

प्यारा तो बस प्यार है, है मनभावन गीत 
मधुर सुरीला गा इसे, सबका मन ले जीत
सबका मन ले जीत, प्यार है मधुर कहानी 
बोल न कड़वे बोल, सदा रख मीठी वानी
अपना हो हर शख़्स, लगे सबसे तू न्यारा  
बिन रिपु होते  प्राण, लगे है सबको प्यारा