"वार्णिक घनाक्षरी छंद" "स्वतंत्रता दिवस" रक्त-स्वेद से लिखी,स्वतंत्रता की कहानी महान शूरवीरों को, हम शीश नवाते हैं आज़ादी के कईं वर्ष, जिए पर कहाँ हर्ष उन्नति की सही दिशा, कहाँ हम पाते हैं प्रगति में भारत की,भागीदारी हो सभी की 'स्वतंत्रता दिवस' पे, संकल्प उठाते हैं मिलजुल कर प्रजा, एकजुट रहे सदा कुप्रथा कुरीतियों को, मिलके मिटाते हैं ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️