यूँ ही बना रहे ये प्यर, प्यार दे तुझे सँवार . कमी न हो किसी चीज़ की, दूँ तेरी नज़र उतार ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Category: Shayari
घर
बहुत देखा सुना सहा अब कोई डर नहीं परेशानी बिना ? 'हुज़ूर' कोई घर नहीं ! ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
नारी
तू मेरी न फ़िक्र कर ...मैं बहुत मज़बूत हूँ नारी कभी रुकी नहीं ...उसी का सबूत हूँ ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अना
तुमने कहा दूर हो जाऊँ तो दिल ने कहा मर जाऊँ तुमने कहा दिखना मत तो सोचा परछाई बन जाऊँ आत्महत्या से बड़ी कायरता नहीं कोई, क्यों करूँ अब कहती है अना मेरी, क्यों न तुमसे हो अलग जाऊँ ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दिल्लगी
छोड़ चुके है जो करके प्यार-व्यार दिलज़लों से दिल्लगी भारी पड़ेगी पास रहते हों जो समन्दरों के उनकी तिश्नग़ी तुम्हें भारी पड़ेगी ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
सितार
तारीफें है आपकी ...आपका ही प्यार है हम हुए मगरूर गर ......कसूर तेरा यार है हरसूँ खामोशियाँ ..कोई न था आसपास मोहब्बत का दिल में ..बज रहा सितार है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
चाँद
इक चाँद सी सूरत की ख़्वाहिश क्या कहिये चाँद पाने का दिली अरमान क्या कहिये अपनी काबिलियत भी कभी देखी होती चाँद पर जाने की चाह ग़ज़ब !क्या कहिये ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अनर्थ
जिनके अपने घर नहीं रहते सारा संसार उनका घर होता है जिनके अपने अपने नहीं रहते हर शख्स उनका अपना होता है जैसे फूल-फूल में फर्क वैसा फर्क होता है नारी-नारी में इक जैसी हों इक जैसी खुशबू इस सोच से बड़ा अनर्थ होता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
sp1
तुमसे हारने में ही--------मज़ा आता है तुमसे जीतना हमें -------कहाँ भाता है हो बिरला कोई ----जो ये राज़ समझे किसीको ये राज़-कहाँ समझ आता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
अंतस
अंतस की वीणा पर कैसी ,धुन ये प्रीत की गायी जाना मन के तार हुए झंकृत सब.....आयी याद तुम्हारी जाना भूल गई मैं दर्द विरह के...विस्मृत रैन-दिवस हुई तड़पन जब देखा जानम फिर तुमने...बिसरा रूठ के तेरा जाना ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️