हमारे अनुभव जिन्हें, सिरे से बेकार लगते हैं नहीं हमसे शायद वो, ख़ुद से ही बेज़ार लगते हैं क्या करे कोई अब, तेज़ी से बदल रहा ये ज़माना यहाँ सभी हमें चलता फिरता, अख़बार लगते हैं
हमारे अनुभव जिन्हें, सिरे से बेकार लगते हैं नहीं हमसे शायद वो, ख़ुद से ही बेज़ार लगते हैं क्या करे कोई अब, तेज़ी से बदल रहा ये ज़माना यहाँ सभी हमें चलता फिरता, अख़बार लगते हैं