आजकल आइना भी हमे वक़्त बता रहा है जो हमसा हुआ करता था कभी चेहरा ! बीते हुए वक़्त के दाग दिखा रहा है कभी हम आईने को कभी वो हमे धता बता रहा है ...
Tag: आइना
आइना
आइना क्या बोल गया भेद सारे खोल गया मैं अनभिज्ञ अपने आप से जाना नहीं अभी तक जो राज़ पर वो मेरी पोल मुझ ही से खोल गया छुपाना चाहती है जो ज़ालिम ज़माने से तू! वो तो तेरी आँखों में लिखा ये आइना क्या बोल गया ? ज़माना नहीं तेरा ,उम्र हुई अब ! सिमट के रह अपने में सम्मानित जीवन इसीमे है! क्यों आइना ये बोल गया? खामोश लब,मुस्कुराती आँखें तन्हाई हमसफ़र, मुट्ठी भर अपनों का साथ यही तो है थाती तेरी ! रह इसी के साथ ! आइना सच बोल गया तू उम्र अनुभव प्यार और अहसास का बेजोड़ मेल है! गाती रह अंतर्मन गीत मुस्कुराके बोल गया
आइना
आईने तू इतना सख्त क्यों है ? आईने तू इतना कम्बख्त क्यों है ? क्यों दिखानी है तुझे क्रूर सच्चाई क्या किसी का दिल रखना नहीं आता है? जैसा दिखता है! तू दिखाता है यहाँ तक तो ठीक,सह लिया हमने क्यों दिल का हाल तू बताता है? तुझ पर धूल, तो भी मैले हम! ये सियासत तुझे कौन सिखाता है तू तो शायरी में अच्छा मक़ाम रखता है फिर क्यों दूसरों को नीचा दिखाता है हम करे गिला शिकवा तुझे कोई फर्क नहीं चिकने घड़े सा हरवक्त तू सताता है आईने सा किरदार तेरा है ,तो याद रख तू भी ! ज़रा सी ठेस से वो चूर चूर हो जाता है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️