सब कुछ है पास तेरे........फिर भी बेचैनी क्यों है मुस्कान लबों पे .........निग़ाहों में वीरानी क्यों है बिना समझे-बूझे.........ढोये अहसासों की लाशें ग़ज़ब बात ! दिल गढ़ता नयी रोज़ कहानी क्यों है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
सब कुछ है पास तेरे........फिर भी बेचैनी क्यों है मुस्कान लबों पे .........निग़ाहों में वीरानी क्यों है बिना समझे-बूझे.........ढोये अहसासों की लाशें ग़ज़ब बात ! दिल गढ़ता नयी रोज़ कहानी क्यों है ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️