खरी अजब अहसास से भरी हूँ आम हूँ पर लगा परी हूँ ख़ुद पे यक़ीन हुआ है यूँ मैं मुकम्मल ग़ज़ल खरी हूँ ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️