टुकड़े टुकड़े टूटा है दिल, बिखरे बिखरे हैं ज़ज़्बात उसके दिल तक दर्द ना पहुंचा, फिर से लगाये बैठा घात टुकड़े टुकड़े टूटा है दिल ... कैसे क्या क्या सबको कहें जब,दिल में चुभी हुई हो बात दिन तो जैसे तैसे बीते, कटती नहीं है बैरन रात टुकड़े टुकड़े टूटा है दिल ... प्यार किया है खेल नहीं कोई, जिसमे होगी शह और मात दर्द में डूबे शज़र हैं हम तो ! दर्द है अब हर शाख और पात टुकड़े टुकड़े टूटा है दिल ... दुनियाँ है क्यों ज़ालिम इतनी, झूठे सारे रिश्ते नात ज़हर है जब तो छोड़ दे ना तू,दर्द से क्यों है रखना साथ टुकड़े टुकड़े टूटा है दिल ... मौसम आते जाते रहते, सुख दुःख सर्दी गर्मी बरसात रहना ही है सहना ही है, जब तक आत्मा रहे है गात टुकड़े टुकड़े टूटा है दिल