हाय रे दिल तेरी मज़बूरियाँ इतने करीब होकर भी दूरियाँ हों आँख बंद तेरी नज़दीकियाँ आँखे खुली दिखी बारीकियाँ ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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दिल
दिल दर्द के नग्मे नहीं लिखना चाहता आंसुओं भरी कहानी नहीं लिखना चाहता वो तो लिखना चाहता है कुछ प्यार भरे नग्मे वो गम संजोता है बांटना नहीं चाहता एक सूनापन सबके अंदर है और वो रहेगा ही जब तक वो खुदा के पास नहीं जाता हम सब की खुशियां एक दूसरे की मुट्ठी में हैं बदकिस्मती ये कि कोई खोलना नहीं चाहता सम्पूर्णता सबके भीतर देखना चाहता है हर कोई पर क्या करें कोई आइना देखना नहीं चाहता आओ खोल ले मुट्ठी और देखें आइना भी हम यूँ ही मुस्कुराने में किसी का कुछ नहीं जाता