दूरी

जब हम तुम दूर होते हैं 
बड़े मज़बूर होते हैं 
उलझे-उलझे हुए जज़्बात 
वो गुजरे हुए लम्हात 
वो नैनों में होती बात 
अनकहे वादों की बरसात 
          बहुत याद आते हैं 
मध्य हम दोनों के अचानक  
गायब दुनिया का हो जाना 
महक चारों तरफ तेरी
तेरी सराहना,मेरा लजाना 
          बहुत ही याद आते हैं 
जब हम तुम दूर होते हैं 
बड़े मज़बूर होते हैं 
जब रातें काटे नहीं कटती 
हर पल तन्हाईयाँ डँसती 
सहारे के बिना जीवन की 
डगमग नाव है हिलती 
         सनम याद आते हैं 
जब हम तुम दूर होते हैं 
बड़े मज़बूर होते हैं 
           ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

दूरी

दूरी से भी हम रखें, इक दूजे का ध्यान
दुआ ह्रदय से हम करें, रखें प्यार का मान
रखें प्यार का मान, दर्द आओ जी बाँटें    
रब से जोड़ें हाथ, शूल दामन से छाँटें 
मदद अगर अरमान, पास होना न ज़रूरी 
रोज़ दुआएँ भेज, प्यार में कैसी दूरी

दूरी

दूरियाँ बढ़ गयी दिल में अगर   
आप क्यों मेरे करीब आते हैं 
क्या बच गया कोई फ़रेब 
आप यूँ सब्ज़बाग दिखाते हैं
 
आपसे प्यार हमें है माना मगर 
धोखा बार बार नहीं खाते हैं 
ज़ेहन में गहरे बसे हुए हो आप 
क्यों नाज़ायज़ फायदा उठाते हैं 

रुकोगे जब तलक हमें यकीन नहीं 
यकीन आया तो कहोगे कि जाते हैं 
हम तेरे लाख राज़दार वफादार सही  
फिर हमसे ही राज़ क्यों छुपाते हैं 

आप दिखाते हैं हमें प्यार मगर  
ज़ख़्म फिर से हरे हो जाते हैं 
जब दिल ने दूरी बना ली है  
आप क्यों मेरे करीब आते हैं