272.दोहा न ज़िन्दगी प्रतियोगिता, न ज़िन्दगी संघर्ष तब इसकी उपयोगिता, हरपल जियें सहर्ष ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
271.दोहा तन थके मन थके नहीं, करता भागमभाग पूरे चाहे ख्वाब तो, जला ह्रदय की आग ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️