❤️❤️🌹🌹🙏🏻🙏🏻💐💐❤️❤️🙏🏻🙏🏻 आप सब के प्रेम,प्रोत्साहन और अपनेपन की वजह से मैं, "१००१ पोस्ट" इस ब्लॉग पर लिख पायी। एक अजीब सी संतुष्टि का,कुछ कर पाने का अहसास है। सच कहूँ तो खुद पर गर्व सा हो रहा है ,सच में ! हम चाहें तो क्या नहीं हो सकता। बस निरंतरता और जुनून से काम करना है। बाकी तो परमपिता परमात्मा कर ही रहे है, " हमारे भले के लिए हमेशा, हर पल, बिना रुके "। दोहा /278 रोम रोम तुम बस रहे, रोम रोम में धाम। हे परमेश्वर आपको ! ह्रदय से है प्रणाम।। दोहा /279 सदा मुझे सदबुद्धि दो, कार्य करूँ मैं नेक। गर्व से सिर ऊँचा रहे, रहे सुबुद्धि विवेक।। ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ ह्रदय तल से आभार, धन्यवाद, शुक्रिया। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐