भूख

ज़िन्दगी दर्द की मानिंद भुगते हर इंसान 
सामने बेशुमार राहें न इक राह आसान  
कितना बेबस इंसान,सन्मुख तनमन की भूख  
कैसे रूह की भूख की, हो पाएगी पहचान 
       ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️