कोई माँ से प्यारा नहीं,माँ तो है अनमोल मीठी लोरी सा लगे ,उसका हर एक बोल माँ पास हो या दूर हो, दिल के सदा करीब हर किरदार को गढ़ने में माँ का अहम् रोल ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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माँ
माँ से दूर जहान में, ख़ुशियाँ चाहे लाख आज़ादी भी है मगर, माँ के बिन सब राख माँ के बिन सब राख, रहे आनंद अधूरा उस के बिन हो भान, अधूरा सपना पूरा माँ चन्दन का पेड़, प्रेम होय दिलोजाँ से ज़िंदा हो तो जान, नहीं तो खुशबू माँ से
माँ
मेरी शक्ल में, मेरे विचारों में मेरे हर काम में तुम दिखती हो माँ तुम कहीं जा नहीं सकतीं तुम मेरी रग रग में बसती हो ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
माँ
तुझे खोने के बाद माँ, मेरी दुनिया हुई वीराँ अब "नहीं हो"जानती थी, खोजे हरसूँ तेरे निशाँ फिर मिला माँ शारदे का ममत्व और आशीर्वाद पाया कविताओं का सहयोग ! तुझ सा ही लगा माँ
माँ
तुझे ढूँढू कहाँ मैं माँ जहाँ वो कौन सा है माँ कहाँ से गोद वो लाऊँ जिसमे सर मैं छुपाऊं कहाँ वो हाथ मैं ढूँढू जो मेरे सर को सहलाएं कहाँ आवाज़ वो सुन लूँ जो सिर्फ ममता बरसाए तेरी मौजूदगी ही जब सहारा मेरा होता हो तुझे खो कर मेरा ये दिल जब रोज़ रोता हो तुझे खोकर अकेलापन मुझे अब रोज़ खाता है तुझे श्राद्ध में अश्रु सुमन कैसे चढ़ाऊँ माँ ! love you maa !!
माँ
इतने ऊँचे पायदान पर मत बिठाओ उसे कि वो दिल की ना कह सके छोटी छोटी खुशियों की मांग ना रख सके खुल के ना हॅंस सके ना रो सके वो भी तो सामान्य औरत है महानता के खिलौने से मत बहलाओ उसे माँ सिर्फ प्यार ही क्यों करे कमियाँ सुधारने का भी अधिकार हो उसे हाँ वो गलत भी हो सकती है,एक नहीं कईं बार! माफ़ी उससे लेना ही नहीं ,देना भी सीखो उसे बिनशर्त प्यार मिला हमेशा तुम्हें तन मन धन लुटाया हमेशा उसने तुमको समझा अपनी दुनिया उसने अपनी दुनिया के अधिकार, मत समझाओ उसे हाँ ये दुनिया का रिवाज़ है ऐसा ही होता है वो समझ जायेगी धीरे धीरे बस तुम मत समझाओ उसे