राजनीति

रिश्तों में राजनीति हो, या राजनीति से बने रिश्ता ...
घर, समाज, या हो देश कभी कोई रिश्ता नहीं टिकता ...
चारों ओर समाज में बिखराव है परिलक्षित हर तरफ... 
अब  प्यार, परवाह, अपनापन दूर-दूर तक नहीं दिखता ...
       ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️