ये रात महकती है, बात बहकती है नैन झुके हैं मेरे, लब खामोश जी कभी तो आ इस जीवन में बहार बन प्यार के सरूर में, हुए मदहोश जी रूठने मनाने का, सिर्फ बहाना था पास बुलाना था, झूठा है रोष जी तेज तेज साँसें हैं, दिल लगा झूमने कैसे बताऊँ अब, नहीं मुझे होश जी प्यार की कहानी,धड़कन की ज़ुबानी धीरे से सुनो मुझे, लो आगोश जी ये रात महकती है, बात बहकती है नैन झुके हैं मेरे, लब खामोश जी ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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रात
इसकी बात, उसकी बात, ना जाने किस किसकी बात करवटें बदलते गुजरी, हाय मेरी तमाम रात! उफ़ ये बेचैनी है कैसी !क्या बेकरारी का सबब ? बेचैनी कम हो जाएंगी क्या ?गर छोड़ दूँ ख्वाहिशों का साथ ! मैं नहीं चाहती ,कैसी भी !कोई शय चुराए नींदें मेरी ! मैं तो बस चाहूँ पुरसुकून प्यारी सी एक चांदनी रात जान के भी अनजान बन पाने की जो हैं ख्वाहिशें ! वजह वही हैं जो ना सोने देंगी मुझको सारी रात कर सके तो कर ले यारा अब तो खुद पर भी यकीन वरना कर दे अलविदा तू अपनी नींद आज की रात इसकी बात उसकी बात ना जाने किस किसकी बात करवटें बदलते गुजरी हाय मेरी तमाम रात .......
रात
है रात घनेरी और लम्बी छायी है गहन उदासी भी.. रात के बाद सुबह होगी ही सो रात सहन हम कर लेंगे....
रात
रात तू क्यों उदास है तेरा चाँद तेरे पास है सितारों से जगमग है तू आराम तेरे आगोश में मिलन के लिए बनी है तू तू है तो आँखों में नींद है तू है तो सुरमई ख्वाब हैं तुझमे है प्यार के रंग भी तू है तो खुशियों का संग भी तुझमे दफन कई राज हैं तेरा रंग काला है तो क्या सीरत मगर उजली सी है तुझे दिन का हमेशा साथ है सुबह से मिलने की आस है हर शायर ,कवि की महबूब तू है खूब यार बहुत खूब तू ! ए रात तू क्यों उदास है