सन्देश

आज जो पाया ! जाना, कुछ पाना शेष था 
जो समझा खज़ाना --यादों का अवशेष था 
जीवन की सार्थकता--------बहते रहने में है 
रुकना तो मृत्यु-पूर्व,-- -मृत्यु का सन्देश था  
       ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️