संवेदनहीनता

वक़्त और तथाकथित बड़े जब दोनों रहें  मौन     
अहम् और स्वार्थ कर दे रिश्तों को गौण !
तड़प कर कोई दिल कितना भी पुकारे 
संवेदनहीनता पसरी चारों ओर ! तो समझेगा कौन ?