न जाने इस दुनिया में सब ऐसे क्यों हो जाते हैं समझाना कुछ और चाहती हूँ समझ कुछ और जाते हैं समझना कुछ और चाहती हूँ समझा कुछ और जाते हैं ए जहाँ ! कुछ तो अच्छाइयाँ, कुछ तो ईमान रख वर्ना मुश्किल वक़्त में साथ सब छोड़ जाते हैं। ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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समझ
जब किसी की कमियां ज़्यादा दिखे तो समझ लेना तुम्हें आत्ममंथन की ज़रूरत है मगर प्यार अपनापन ज़्यादा दिखे तो समझ लेना तुम्हें आत्मसमर्पण की ज़रूरत है
समझ
मेरा लिखा पढ़ेगा कौन हर एक शब्द हैं ज़ज़्बात ,समझेगा कौन वो समझे ना समझे शब्द मेरे शब्द क्या मैं तो समझती हूँ उसका मौन