134.दोहा

रहो लीन तुम ध्यान में, कुछ क्षण हो एकांत 
"सोहम" साँसों  से  जुड़े, कहता  है  वेदांत
           ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

हरियाणा का खेल योगदान

हरियाणा की माटी महान, देती दुग्ध और खाद्यान्न  
कृषि, खेल, सैन्य सेवाएँ ,देती ऊँची इसे पहचान 
निडर रहें हर आपद में, सीधे सच्चे यहाँ के लोग 
'हरियाणवी' 'मेवाती' 'बृजभाषा' 'बागरी'भाषा बोलें लोग
        हरियाणा की माटी महान, देती दुग्ध और खाद्यान्न 
खिलाडी''सैनिक' घर-घर में जन्में, नित नव छूते हैं आयाम 
खेलों में उत्कृष्ट हरियाणा, लाता आये दिन 'पदक' इनाम 
लाजवाब खेलनीति यहाँ पर, स्कूल स्तर से ही मिले प्रशिक्षण 
सब राज्यों को पीछे छोड़ा, खिलाड़ी कर रहे कमाल का काम 
       हरियाणा की माटी महान, देती दुग्ध और खाद्यान्न    
स्वर्ण, रजत व् कांस्य पदक लाकर, पाया सब राज्यों से ऊँचा मुकाम  
ओलम्पिक, कामनवेल्थ व एशियन खेलों में, गूँजे हरियाणा का नाम 
कुश्ती, मुक्केबाजी, हॉकी, कबड्डी, खेलों में ये सबसे ऊपर 
देश ही नहीं दुनिया में जाने-माने, सभी लोग हरियाणा का नाम 
        हरियाणा की माटी महान, देती दुग्ध और खाद्यान्न  
खिलाडियों को सुविधाएँ मिलती, मिलता खुले दिल से इनाम 
'दो फीसदी'आबादी देश की, खेलों में करे 'पच्चीस फीसदी'काम 
कुरुक्षेत्र को भूले कोई कैसे, विश्व ने पाया यहाँ कृष्ण से गीता ज्ञान 
इतिहास में बड़ा हरियाणा का नाम, पुरातन सभ्यता का है ये स्थान 
        हरियाणा की माटी महान, देती दुग्ध और खाद्यान्न  
                    ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

बैसाखी त्यौहार

*मुबारक बैसाखी त्यौहार, चल भंगड़ा डालो यार*  
*मेरे देश की पावन मिट्टी, देती है नित उपहार* 
*मेहनत का इनाम है देती, है भरे खूब भण्डार*  
*फसलें पकें खेत में तभी, चेहरों पर आती रौनक* 
*नृत्य संगीत लौटे जीवन में, हों खुशियाँ बेशुमार*
*मुबारक बैसाखी त्यौहार, चल भंगड़ा डालो यार*  
   
*गूँजा  लोकगीतों  से  देखो  धरती  और  आसमान* 
*फसल कटे धन मिले तभी, सब पहने नवीन परिधान*
*नित उत्सव होते फिर घरों में जमती शाम-ए-महफ़िल* 
*नाचे मनमयूर  देख के  विभिन्न मधुर सरस पकवान*
*मुबारक बैसाखी त्यौहार, चल भंगड़ा डालो यार*  
           ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️