जब जब हावी हो तेरे होशोहवास पर थकान
हो जा सतर्क तेरी समझ का हो रहा है इम्तिहान
थकान है कुछ लम्हों की मेहमान
ना ना अपना इसे बनाना नहीं
चित्त की विश्रांति ही प्रसाद की है जननी
कभी भी ये बात तू भूल जाना नहीं
शांत बैठ ध्यान में स्थिति की गंभीरता को माप
रुकना थमना हारना तो तूने कभी जाना नहीं
नज़र से जो चूका हो कुछ या गलती हुई कोई कहाँ
क्या क्या हुआ ना साथ तेरे मगर तू कभी थमा नहीं
हमेशा ही जीता खुद से भी और ज़माने से तू
हारा हमेशा तभी दिल में जब, मज़बूती से ठाना नहीं
याद कर हर बात जब तुझे लगा अब ना हो पायेगा
ये ना भूल पायेगा वो ना तू कर पायेगा
हर बाधा पार कर देख कहाँ खड़ा है तू
क्या तू कर पाया नहीं? तुझे कुछ भी हरा पाया नहीं !
थकान है कुछ लम्हों की मेहमान
ना यार कभी अपना इसे बनाना नहीं