जीवन

बदलता रहता है बहुत कुछ ..मृत्यु से पहले, मृत्यु के बाद 
बदलता नहीं मृत्यु का निश्चित होना, मिले जीवन के बाद 
ना आसान है ना ज़रूरी समझना.... जीवन मृत्यु का खेल 
पर जीवन जीने लायक तो हो.... साँसें मिल जाने के बाद 
    ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

पानी

वो चाहता है तू........पानी हो जा 
उसके हर लफ्ज़ का..मानी हो जा 
जाम औ दरिया, कभी समंदर बन  
उसकी खुशियों की ज़ुबानी हो जा 
वो चाहता है तू........पानी हो जा 
उसके हर लफ्ज़ का..मानी हो जा 

मंदिर के घंटे...अजान मस्जिद की 
सूर कबीर की मृदु ...वाणी हो जा 
अपनी कद्र कर..सँवार लो खुद को   
फ़ितरते-इंसा ........इंसानी हो जा 
वो चाहता है तू........पानी हो जा 
उसके हर लफ्ज़ का..मानी हो जा 

किसी की पीड़ा का..बन जा मरहम 
हो सुखद अंत वो.....कहानी हो जा 
जग में बहुत हैं.........दर्द बाँटने को 
ख़ुशी बाँट ! उसी का ..सानी हो जा
वो चाहता है तू.........पानी हो जा 
उसके हर लफ्ज़ का..मानी हो जा 

सुन इस दर्द को यूँ .....नुमाया न कर    
सब को कर माफ़...अनजानी हो जा 
क्या मिला 'मुक्त'...करी दुनियादारी 
जोड़ तार रब से.......रुहानी  हो जा
वो चाहता है तू........पानी हो जा 
उसके हर लफ्ज़ का..मानी हो जा 
   ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

ग़लतफहमी

आँख इक लड़ने की रखी तो इक मिलने की भी रख 
प्यार का मीठा असर है.....कुछ तो नमकीनी भी रख  
बात बढ़ती ही रहेगी........यदि याद हों शिकवे गिले 
ना बढ़ानी बात हो तो....... हक़ीक़त ज़मीनी भी रख 

हम सब ही कमियों के पुतले........हम सभी अधूरे हैं 
जो पास है तेरे सनम..........उसकी कद्रदानी भी रख 
रूठ कर जाना है जाओ..........जानेजां तुम शौक से 
मिलन होगा कभी मगर.......उसकी गुंजाईश भी रख 

अपने में तू डूब मत,,,,,,,,,,,,,,.इतना कोई दीखे नहीं 
अपने भीतर ए सनम..............गुरूरे पैमाइश भी रख 
जब तलक चले साँस तब तक....ही रहा अपना कोई 
साँस चलने तलक वफ़ा की कुछ ग़लतफहमी भी रख  
              ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 

गुलाब काँटे

सुख दुःख चलते संग रहे 
रात दिन एक रंग रहे 
तमस उजास का संग रहे 
व्यथित इतना क्यों रहता है     
गुलाब काँटों संग रहता है   

समझ सको तो समझो 
जीवन में बस जंग रहे 
संघर्षों का संग रहे 
झेला-झेली से बल रहता है 
गुलाब काँटों संग रहता है   

दिल उन्मुक्त ये कहता है 
सबकी अपनी महता है 
सादगी से जीवन काटो 
क्यों प्रपंच-सा रहता है 
गुलाब काँटों संग रहता है   
  
प्रकृति का है नियम यही 
मात-पिता का कथन यही 
नफरत प्यार का भी देखो 
चोली-दामन सा रहता है  
गुलाब काँटों संग रहता है   

सुन्दर दीखते फूल तुम्हें 
देखो कुछ समझाते हैं 
पतझड़ के बिन बोलो तो 
बहार कहाँ आ पाता है
गुलाब काँटों संग रहता है   
 
गहराई समंदर-सी मन में 
उड़ान परिंदों-सी तन में 
हरसूँ हवा से छा जाओ                            
अंतस में प्रेम सदा रहता है 
गुलाब काँटों संग रहता है   
 
दुःख की चुभन से न घबरा 
ख़ुद पर इतना ना इतरा
प्यारा है इंसान वो ही 
जो प्यार बाँटता रहता है 
गुलाब काँटों संग रहता है
   
अविरल नदी सा बहता है 
प्रभु शरणागत रहता है 
हँस के दर्द भी सहता  है 
महक-महक कुछ कहता है 
गुलाब काँटों संग रहता है   
       ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त'  ✍️ 


प्यार

सच्चाई से आँखें ...........मूँदता क्यों है 
अच्छाई से दूरी..............ढूँढता क्यों है
जीत हमेशा प्यार सिरफ प्यार से संभव 
" मैं " से जीवन को.......रूँधता क्यों है 
     ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

उद्धार

हे पालनहार प्रभु........करुणासिंधु परमपिता 
शरणागत हैं तेरे.............उद्धार होना चाहिए 

डूबते को तिनके का........सहारा होना चाहिए 
अंधेरे में दीप का............सहारा होना चाहिए 

भोर में नित आस की.......सूर्यकिरण ह्रदय रहे 
ईश का भवपार हेतु........सहारा  होना चाहिए

मान-अपमान ना ही........लाभ-हानि से मैं डरूँ 
यश-अपयश में, समता का ,भाव होना चाहिए 

भवसागर निर्भीक डोलूँ ,मीठी वाणी बोलूँ सदा 
शरणागत हैं तेरे..............उद्धार होना चाहिए 

हे पालनहार प्रभु.........करुणासिंधु परमपिता 
शरणागत हैं तेरे..............उद्धार होना चाहिए 
                      ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त'  ✍️ 

लाज़िमी

शिखर पर जाने की ललक कम हो गयी उसकी  
जबसे जान गया वो शिखर पे तनहा रह जाएगा
 
प्यार की धमक दिल पे कम होनी है लाज़िमी   
जब प्यार के जवाब में ना प्यार मिल पायेगा
   
ग़मों की तपन इस दिल में  कम हो ही जायेगी  
जब पूनम का चाँद बन के वो हस्ती पर छायेगा 

ईमानदारी की कीमत कम कभी हो नहीं सकती 
बेईमान भी जग में अपने लिए ईमानदार चाहेगा 

वफाओं की वजह भी पूछना होता है जायज़
अगर बेवफाई का यकीन अक्सर दिलाएगा 
                  ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️