216.दोहा

छोड़ो भी अब छेड़ना, जुड़े ह्रदय के तार 
प्रीत देत दस्तक प्रिये, खोलो मन के द्वार
              ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

ख़ंज़र

पेशे खिदमत है ये ग़ज़ल आपके लिए 
मीटर -२२१२  २२१२ २२ 
             " ख़ंज़र "
भूला न दिल, बिसरे न वो मंज़र  
जो पीठ पर घोंपा मिरे ख़ंज़र ।।    
मासूम दिल ऐसे हुआ खाली  
जैसे ज़मीं होती रही बंजर ।। 
      
आया ज़ुबाँ पर ज़िक्र तिरा क्यों कर
दिल में रहे जब तक न हो पिंजर  

गुज़रा वक़्त    चाही महरबानी
मज़बूत हम हैं मत कहो  जर्जर।।  

कैसे खिलेंगे गुल गुलिस्ताँ में 
माली लगाता हो जब बदनज़र।। 

हैं 'मुक्त' को न सहन अजी मसले 
वो है अड़िग ज्यों हो विशाल शजर।। 
              ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

इन्तज़ाम

क्या कहूँ इस दर्द का रब सही इन्तज़ाम कर,
दर्द ख़त्म कर या फिर महसूसियत तमाम कर 
ये  दीवाना ही रहा दिल माने न बात जी    
न दिल की हुकूमत हो और न एहतराम कर 
        ✍️सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️

210-215.दोहा

💐💐🌹🌹आज सावन शिव रात्रि के महापर्व पर कुछ दोहे, मेरे इष्टदेव और गुरु भोले शंकर,महादेव शिव, महाकाल को समर्पित🙏🏻🙏🏻 🌹🌹💐💐 आपको और आपके परिवार को सावन शिव रात्रि की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ 🌹🌹🙏🏻🙏🏻 
२१०/
*शिव के रूप अनेक हैं, आदि अनंत अकाल*।
*आकर्षक लगते मगर, उज्जैन महाकाल*।। 
२११/
*महाकाल नगरी भली, रम्य पुरी उज्जैन*।  
*हो शरण महाकाल की, पूर्ण शान्ति व चैन*।।  
 २१२/   
*शिव की कृपा सदा रहे, दुःख की रहे न मोंच*। 
 *महाकाल के जाप से ,लगे न कभी खरोंच*।।  
२१३/
*शिव-स्मरण हर श्वास हो, हर धड़कन में याद*। 
*महाकाल दिल में बसो, जीवन हो आबाद*।। 
२१४/
*हरें शिव आधि-व्याधि सब, करते दुःख का अंत*। 
*महाकाल आशीष से, शान्ति रहती अनंत*।। 
२१५/
*शिव का सावन मास से, है  निर्मल  सम्बन्ध*  
*मेल हुआ शिव शक्ति का, हुआ प्रेम अनुबंध* 
              ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️