142.दोहा

चाह अगर है 'लक्ष्य' की, मत करना आराम
तन-मन-धन लगता जहाँ, पूरा होता काम
            ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️

परेशान

भारत में 'गरीबी' 'लाचारी' ,भुखमरी' अगर आम हो जायेगी 
ये 'महँगाई'   'बेरोज़गारी'  इस   तरह बेलगाम  हो जायेगी 
ध्यान देना होगा हम सभी को, इन छोटी छोटी बातों पर भी 
'लूट' 'चोरी' 'डकैती "बढ़ीं आम जनता  परेशान हो जायेगी

शुक्रिया

मुझे सबने दुआओं में शामिल किया, शुक्रिया शुक्रिया  
मिरा दीया न उम्मीदों का बुझ सका, शुक्रिया शुक्रिया  
मुझे बिन चाह सबका प्यार मिला सदा, शुक्रिया शुक्रिया  
कभी बदले न ये जज़्बात यही दुआ, शुक्रिया शुक्रिया

सक्षम नारी

औरत कितनी सक्षम है, ये समझ लो देख के 
भ्रम  मिटा दो नारी  है,  कमज़ोर  तुम देख के 
माँ पिता दोनों  का  वो,  कर्तव्य निर्वहन  करे 
मेहनती माँ के समक्ष,  झुक गया सर देख के
           ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️