अनुभव की अकड़ में, न तन प्राणी तू बोल मीठी मधुर, मृदु वाणी तू माना श्रम किया बहुत, सहा तूने बहुत पर इसकी दिखा न, मेहरबानी तू बोल मीठी मधुर, मृदु वाणी तू ----- जीवन अनुभव से माना, मन कड़वा हुआ कंठ तक रख ज़हर, बोल मीठी वाणी तू आज के वक़्त में दर्द पसरा हुआ हर उपाय यहाँ बेअसरा हुआ अपनों से बात कर, यूँ न अनजानी तू बोल मीठी मधुर, मृदु वाणी तू---- तन है तेरा शिथिल, दे सकेगा भी क्या कम से कम न दे दूजी, आँखों में पानी तू जो जितना तेरा करे, शूल सा वो गड़े इतनी भी क्या अकड़, न कर बेईमानी तू बोल मीठी मधुर, मृदु वाणी तू ----- ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
Month: November 2022
मेहमान
आजकल अपने घर में मेहमान-सी लगती हूँ शायद कुछ ज्यादा ही परेशान-सी लगती हूँ आईने सच सच बता क्या अब भी वही हूँ मैं नित हो रहे बदलाव से हैरान-सी लगती हूँ ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
उसकी हालत न बदलेगी
जब तक नारी न बदलेगी उसकी हालत न बदलेगी जब तक नारी न बोलेगी उसकी हालत न बदलेगी जब तक नारी अशिक्षित है उसकी हालत न बदलेगी तर्कसंगत यदि सोच न होगी उसकी हालत न बदलेगी जब तक खुद पे विश्वास नहीं, उसकी हालत न बदलेगी जब तक है दूजों पर निर्भर, उसकी हालत न बदलेगी जब तक भावनाओं का जोर, उसकी हालत न बदलेगी औरत औरत का साथ न दे तो उसकी हालत न बदलेगी यदि देवी कहलाने का लालच, उसकी हालत न बदलेगी चाहे जितना जोर लगा लो, उसकी हालत न बदलेगी जब तक इतिहास से सबक न लेगी, उसकी हालत न बदलेगी खुद को बदलना बहुत ज़रूरी वर्ना हालत न बदलेगी ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
“रामायण महात्म्य”
प्रथम चरण-वंदन करूँ, नत शिर बारम्बार। रोम-रोम बसे राम को, ह्रदय मनमंदिर द्वार।। मस्तक पर चन्दन तिलक,अक्षत देउँ चढ़ाय। ह्रदय करो निर्मल प्रभु,सदबुद्धि शांति अंबार।। जय सियाराम जय जय सियाराम १/ रामायण महात्म्य है, राम महिमा का गुणगान। सुरतरू की छाया सम, करती दूर दुःख मान।। जय सियाराम जय जय सियाराम २/ कलयुग में भव तरने का, है ये उत्तम उपाय। मन से रामायण भजो, तीर्थ-करन फल पाय।। जय सियाराम जय जय सियाराम ३/ श्रवण मात्र रामायण का, दे परमतत्व का ज्ञान। अवगुण कटें जो सुने इसे, औषध राम का नाम।। जय सियाराम जय जय सियाराम ४/ रामायण नहीं प्रिय जिन्हें, जीवन मृतक समान। तुलसी कहें ये मान लो, रामायण अमृत खान।। जय सियाराम जय जय सियाराम ५/ भक्तों की भक्ति रामायण, रसिकों की रसरूप। ज्ञानमयी ज्ञानी कहते, भवतारण अनुरूप।। जय सियाराम जय जय सियाराम ६/ रामायणं अनुपम शोभा,इस सम ग्रन्थ कहाँ कोई दूजा। भक्ति ज्ञान वैराग्य समाये,निर्गुण-सगुण दोनों को भाये।। जय सियाराम जय जय सियाराम ७/ जिस घर हो पाठ रामायण,सर्व कोटि भय नसावन। घर में हो रामायण वाचा, हनुमत कृपा करे मनभावन।। जय सियाराम जय जय सियाराम ८/ स्वास्थ्य,सुख-संपत,शांति,प्रेम, हनुमान देते हैं पावन। हर दोहा चौपाई छंद, होता अमृत समान सुहावन।। जय सियाराम जय जय सियाराम ९/ जिस घर रामायण वासा, यम न भूल के फेंके पासा। रामायण से प्रेम तो हों कारज सिद्ध न होय निराशा।। जय सियाराम जय जय सियाराम १०/ रामायण से किया जन कल्याण, धन्य तुलसीदास महान। पुरुषोत्तम प्रभु का ये यशगान, संतजन मथें, लभें परम ज्ञान।। जय सियाराम जय जय सियाराम ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ --------------------------------------
पीर
हम मरते रहे प्यार पर, दुनिया पैसे की पीर मतलब स्वार्थ से रहा, समझी न मन की पीर गहरा मन का घाव, बढ़ाये अंतस की पीड़ा कहाँ मिले ऐसा कोई, हर ले मन की पीर ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
वादे
वो सब वादे तोड़ने के लिए करता है
खूब बहाने छोड़ने के लिए करता है
निज स्वार्थ में कोई इतना डूबा क्यों है
सब अपनों को तोड़ने के लिए करता है
✍️ सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️
“इंदिरा गाँधी”
इंदिरा जी के जन्मदिन पर उनको श्रद्धांजलि स्वरुप 💐💐💐💐💐💐💐 नेहरू की लाड़ली थी वो, बापू की थी प्यारी नायाब शख़्सियत थी, 'इंदिरा' वो हमारी प्रधानमन्त्री बनी वो 'पहली' थी महिला भारत देश की बेटी, एक मज़बूत 'सिद्ध-शिला' जिसके सुदृढ़ नेतृत्व में देश ने नयी ऊँचाई पायी पूरे दक्षिणी एशिया में 'प्रथम' स्थान पर लायी उसकी कूटनीति राजनीति ने लहराए नए परचम दुश्मनों की नीची की निगाहें, दिखा के अपना दमखम उसके कार्यकाल में हमने, दुश्मन पाकिस्तान को हराया पाक से अलग बाँग्लादेश को 'स्वतंत्र राष्ट्र बनवाया अटल बिहारी जी ने पार्लियामेंट में उनको दुर्गा रूप बताया सामाजिक और आर्थिक रूप से देश को मज़बूत बनाया देश में महिलाओं का स्तर भी काफी ऊँचा उठाया देश की अखंडता सर्वोपरि, राष्ट्रहित में बलिदान दिया जो कभी शत्रुओं से न हारी, गोलियों से अपनों ने छलनी किया लौह नारी कहलाती थी, वो इस राष्ट्र की थाती थी इस देश की शान, सदा नए अंदाज़ सिखाती थी ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️ 💐💐💐💐💐💐💐
इज़हार
इज़हारे प्यार लाया मेरी आँख में आँसू 'मासूम' ये पत्थरदिल पिघला कैसे 'बना दरिया' 'नहीं मालूम' दुआएँ दिल से ये निकली, रहे तेरी ज़िन्दगी रोशन अनमोल है उसका प्यार, रहता इस दिल में 'है मालूम' ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
दूरी
जब हम तुम दूर होते हैं बड़े मज़बूर होते हैं उलझे-उलझे हुए जज़्बात वो गुजरे हुए लम्हात वो नैनों में होती बात अनकहे वादों की बरसात बहुत याद आते हैं मध्य हम दोनों के अचानक गायब दुनिया का हो जाना महक चारों तरफ तेरी तेरी सराहना,मेरा लजाना बहुत ही याद आते हैं जब हम तुम दूर होते हैं बड़े मज़बूर होते हैं जब रातें काटे नहीं कटती हर पल तन्हाईयाँ डँसती सहारे के बिना जीवन की डगमग नाव है हिलती सनम याद आते हैं जब हम तुम दूर होते हैं बड़े मज़बूर होते हैं ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
श्री कृष्ण गोपाल हरे
श्री कृष्ण गोपाल हरे जय जय गोविन्द हरे जय जय गोपाल हरे मनके सारे मैल मिटाकर भज मन जय गोविन्द हरे कृष्ण की भक्ति देती शक्ति तन-मन वश ये करे आधि-व्याधि, दुःख-दर्द मिटाकर मोक्ष की राह करे, जय गोपाल हरे जय कृष्ण गोविन्द हरे जो रटे राधे राधे राधे जीवन-धारा वो पलटा दे कृष्ण सुलभ हो और जीवन के सारे दुःख टरे,जय गोपाल हरे जय कृष्ण गोपाल हरे जय जय गोविन्द हरे जय जय गोपाल हरे कृष्ण मुरारी बांके बिहारी ये मस्तक चरण लगे शरण में आकर तेरी प्रभुजी नैया भवसागर पार लगे श्री कृष्ण गोपाल हरे जय जय गोविन्द हरे जय जय गोपाल हरे ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️