"वार्णिक घनाक्षरी छंद" "स्वतंत्रता दिवस" रक्त-स्वेद से लिखी,स्वतंत्रता की कहानी महान शूरवीरों को, हम शीश नवाते हैं आज़ादी के कईं वर्ष, जिए पर कहाँ हर्ष उन्नति की सही दिशा, कहाँ हम पाते हैं प्रगति में भारत की,भागीदारी हो सभी की 'स्वतंत्रता दिवस' पे, संकल्प उठाते हैं मिलजुल कर प्रजा, एकजुट रहे सदा कुप्रथा कुरीतियों को, मिलके मिटाते हैं ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
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233.दोहा
सबके दिल में हैं बसे, देखो दर्द हज़ार दुनिया जब अँगुली रखे, तब हो पीर अपार ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
232.दोहा
दान लिए महिमा घटे, बाँटे बढे अपार ज्ञान बाँटने से बढे, मिलते शिष्य हज़ार ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
231.दोहा
*क्यों कविता को भूल कर, दोहे ही परवान* *दिल-दिमाग का संतुलन, काव्य बने पहचान* ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
230.दोहा
*सराबोर हों प्रेम से, मित्रों का हो साथ* *कोहिनूर से मित्र हैं, विपद न छोड़ें हाथ* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
229.दोहा
छुप-छुप दुनिया की नज़र ग़लत करे आचार। पकड़ो तो वो चोर है , वरना साहूकार ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
228.दोहा
*जन्मदिवस हो शुभ सदा,ह्रदय रहे उल्लास* *चाहो जो भी तुम मिले,पीर न आये पास* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
227.दोहा
*सुन्दर छवि सीरत भली,सुन्दर प्यारा नाम* *मीठी वाणी बोलती, सब दिल लेते थाम* ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
224.दोहा
*पिया गए परदेस मैं, हर दिन तकती राह*। *दिया नहीं सन्देश भी, ये कैसी परवाह*।। ✍️ सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️
226.दोहा
जग में मुश्किल जानना, भला बुरा है कौन ख़ुद को जानो प्यार से, मदद करेगा मौन ✍️सीमा कौशिक 'मुक्त' ✍️