हर सुबह दे रही आस की आवाज़ सुन चहचहाते पंछी हैं मंद सी हवा है सुन कह रही है वादियाँ कह रही फ़िज़ाएँ हैं आस की इस डोर से, मंज़िल मिलेंगी सुन
हर सुबह दे रही आस की आवाज़ सुन चहचहाते पंछी हैं मंद सी हवा है सुन कह रही है वादियाँ कह रही फ़िज़ाएँ हैं आस की इस डोर से, मंज़िल मिलेंगी सुन
Inspiring words shared
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thanks tanvir !
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बहुत सुन्दर
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thanks a lot Mr.Verma !
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thank you so much
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