दुनिया ! कभी कभी मुझे लगता है तू मज़ाक अच्छा करती है किसी मासूम को इन्साफ नहीं दिला सकती गरीबों को घर, शिक्षा ,सुरक्षा नहीं दे सकती हमेशा सही का साथ नहीं दे सकती मगर धर्म बचा सकती है भगवान् की इज़्ज़त बचा सकती है भगवान् का घर बना सकती है धरती पर स्वर्ग की रचना संसार का हर शख्स अपना वसुधैव कुटुंबकम तेरे लिए ज़रूरी नहीं खुद ही खुद को छोटे छोटे टुकड़ों में बाँटती है आपस में लड़ती है मरने पर स्वर्ग का इंतज़ाम करती है मुझसे आप सभी कितने समझदार है !बताईये ना क्या हम धर्म ,भगवान् को बचाएंगे? या वो हमे ?