"जिस परमेश्वर से उत्पन्न हुए सभी प्राणी जिससे व्याप्त है ये सारा जगत उस परमेश्वर को पूज अपने स्वाभाविक कर्मों से यही पूजा करे 'परमात्मसिद्धि 'प्रदत्त " 'सही आचरण से निभाए दूसरे के धर्म से अपना गुणरहित धर्म भी श्रेष्ठ है क्योंकि स्वभाव से निश्चित स्वधर्म रूपी कर्म से मनुष्य पाप का भागी नहीं होता'
बिलकुल सही कहा ❤
LikeLike
thank you so much !
LikeLike
thanks !: )
LikeLike