रब /राम / परमात्मा /गॉड / कृष्ण ! क्या हो तुम ! तपती हुई रेत पर पानी की बूँद तुम जीवन की गर्म हवाओं में शीत पवन तुम हम सभी प्राणियों का भार सहती धरती तुम सभी के संरक्षक सर की छत आकाश तुम दिन भर के थकेहारे को सुकून भरी रात तुम घोर अंधियारे को चीरते हुए चाँद सितारे तुम अँधेरे को काटते उम्मीद की किरण लिए भोर का सूरज तुम लहलहाते खेत तुम बागों की बहार तुम मज़दूर का पसीना तुम ! किसानो की मेहनत तुम सैनिकों की वीरता तुम ! इंसानों की बुद्धि तुम माँ बाप गुरु तुम ! हर प्यार करनेवाला हाथ तुम हर मज़बूत बनानेवाला वार तुम ! वार भी, शत्रु भी तुम ! जीते जीते थक गए तो मौत की मीठी नींद तुम हो तुम कहाँ नहीं ! हर स्वास हर धड़कन में तुम अदृश्य भी दृश्य भी ! हो शाश्वत हर सत्य भी ! क्यों तुम्हें पुकारूँ मैं !वाणी की हो जब शक्ति तुम ! कुछ ऐसा करो परमपिता ! हो मुझ पर तेरी कृपा ! मैं कहीं भी ना रहूं ,रहो तो सिर्फ तुम ही तुम !
बहुत सुंदर
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Beautiful thoughts👌👌
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thank you kk !thanks a lot !
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Supar
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thanks anupama !
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